विशेषण पढ़ाने का वो अनोखा दिन
जब छात्र ही बन गए गुरु

विशेषण पढ़ाते समय मुझे हमेशा लगता था कि बच्चे इसे बोरिंग पाएंगे। व्याकरण के नियम, परिभाषाएँ, उदाहरण – सब कुछ बहुत सूखा-सूखा सा लगता था।

उस दिन बोर्ड पर मैंने लिखा: “सुंदर फूल”, “लाल गुलाब”, “मीठी आवाज़”। बच्चे देख रहे थे। तभी पीछे से रेयान चिल्लाया, “मैडम जी, ये तो बिल्कुल Instagram captions जैसा है!”

मैं चौंकी। “मतलब?”

“मैडम, जैसे हम photo post करते हैं ना, तो लिखते हैं – ‘Amazing sunset’, ‘Best friends forever’, ‘Delicious pizza’… ये सब तो विशेषण ही हैं!”

पूरी क्लास की आँखें चमक उठीं। और फिर जो हुआ, वो मेरे 15 साल के teaching career का सबसे मज़ेदार पल था।

बच्चों ने अपने-अपने imaginary Instagram posts बनाए:

  • “गरम-गरम समोसे” (आरव की post)
  • “बोरिंग homework” (प्रमोद की ईमानदार post!)
  • “भयानक Monday morning” (सबकी पसंदीदा)
  • “लज़ीज़ biryani” (जिसने सबको भूखा कर दिया )

मैंने उनसे कहा – “अब बिना विशेषण वाली captions बनाओ।”

“फूल”, “गुलाब”, “आवाज़”… सब फीके लगे!

बच्चों को अचानक समझ आया – विशेषण language को ज़िंदा बनाते हैं, boring नहीं! वो दिन मैंने सीखा कि बच्चों की दुनिया में घुसकर ही हम उन्हें अपनी दुनिया में ला सकते हैं।

 कभी-कभी सबसे अच्छे lesson plans वो होते हैं जो students बनाते हैं। हमें बस सुनना आना चाहिए।

अनीता बसिमी

हिन्दी विभागाध्क्षय